आर्यावर्त वाणी | गयाजी | 23 नवंबर 2025,
गयाजी; कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार विरासत विकास समिति और गयाजी संग्रहालय गयाजी के संयुक्त तत्वावधान में विश्व विरासत सप्ताह के अवसर पर रविवार, 23 नवंबर 2025 को “मगध क्षेत्र की पुरातात्विक धरोहर” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन गयाजी संग्रहालय के सभागार में किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के रजिस्ट्रार डॉ. विनोद कुमार मंगलम शामिल हुए। उन्होंने विद्यार्थियों और युवाओं को विरासत संरक्षण के प्रति जागरूक करते हुए कहा कि “धरोहर को संजोना ही इतिहास और राष्ट्र के प्रति सच्ची श्रद्धा है।”
मुख्य विशेषज्ञ प्रो. मनीष सिंह, कन्वीनर इंटक गयाजी डॉ. अलका मिश्रा, गया कॉलेज के डॉ. कुणाल किशोर तथा मगध विश्वविद्यालय के डॉ. चंद्र प्रकाश ने अपने-अपने सत्र में मगध की पुरातात्विक यात्रा, संग्रहालयों का महत्व, धरोहर संरक्षण की सामाजिक-प्रशासनिक भूमिका और क्षेत्र में उत्खनन व अनुसंधान की आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
गयाजी संग्रहालय के संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. सुधीर कुमार यादव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि बिहार इतिहास और पुरातत्व की दृष्टि से विश्व की प्राचीनतम धरोहरों का संवाहक रहा है।
“भगवान बुद्ध ने इसी मगध की पावन धरती पर ज्ञान प्राप्त कर विश्व को शांति का संदेश दिया। हमारी विरासत हमारे पूर्वजों की अमूल्य धरोहर है, इसे सुरक्षित रखना हर नागरिक का नैतिक दायित्व है।”
सुधीर कुमार यादव , स. संग्रहालयाध्यक्ष, गया संग्रहालय,
उन्होंने युवाओं से पुरातात्विक स्थलों व प्राचीन वस्तुओं के संरक्षण में आगे आने का आह्वान किया और उपस्थित सभी लोगों से विरासत की सुरक्षा हेतु शपथ दिलाई।
कार्यक्रम का कुशल संचालन एवं समन्वयन बिहार विरासत विकास समिति के समन्वयक डॉ. अमित रंजन ने किया।
इस मौके पर मगध विश्वविद्यालय के डॉ. जन्मेजय सिंह, डॉ. राकेश सिंह, किलकारी के राजीव रंजन श्रीवास्तव, विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थी तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं एवं स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में अतिथियों ने उम्मीद जताई कि ऐसे आयोजन मगध की प्राचीन गौरवशाली विरासत को भविष्य के लिए संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।