आर्यावर्त वाणी | गयाजी | 11 दिसंबर 2025,
गयाजी; ज़िला पदाधिकारी शशांक शुभंकर ने आज देर संध्या भूअर्जन कार्यालय पहुँचकर उत्तर कोयल जलाशय परियोजना में रैयतों के लिए किए जा रहे भूमि अधिग्रहण मुआवजा भुगतान की प्रगति का निरीक्षण किया। उन्होंने भुगतान प्रक्रिया को और तेज़ एवं पारदर्शी बनाने हेतु कई आवश्यक निर्देश दिए।
रैयतों की संख्या अधिक, भुगतान प्रक्रिया में तेजी के निर्देश
निरीक्षण के दौरान ज़िला पदाधिकारी ने बताया कि परियोजना क्षेत्र में रैयतों की संख्या काफी अधिक है, और सभी को उनके बैंक खातों में मुआवजा राशि भेजी जानी है। संबंधित अंचल अधिकारियों द्वारा परियोजना के अंतर्गत आने वाले अधिकांश रैयतों की सूची भूअर्जन कार्यालय को उपलब्ध करा दी गई है।
उन्होंने भूअर्जन पदाधिकारी को निर्देशित किया कि सभी रैयतों का पे-आईडी शीघ्रता से बनाया जाए, ताकि मुआवजा राशि का भुगतान सीधे बैंक खातों में भेजा जा सके। ज़िला पदाधिकारी ने शिक्षा विभाग एवं नज़दीकी प्रखंडों के कंप्यूटर ऑपरेटरों को जिला परिषद सभागार में बुलाकर उनके माध्यम से पे-आईडी निर्माण प्रक्रिया को तेज़ करने का निर्देश दिया।
परियोजना के भूमि अधिग्रहण की स्थिति
उत्तर कोयल जलाशय परियोजना (फेज-1) के तहत कुल 206.153 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है, जिसमें तीन अंचलों का क्षेत्र शामिल है—
▫️गुरारू अंचल: 190 एकड़ क्षेत्र, 20 मौजा, 400 से अधिक रैयत
▫️गुरुआ अंचल: 46.50 एकड़ क्षेत्र, 12 मौजा, लगभग 450 रैयत
▫️कोच अंचल: 34.16 एकड़ क्षेत्र, 5 मौजा, लगभग 225 रैयत
परियोजना का महत्व
उत्तर कोयल जलाशय परियोजना झारखंड और बिहार के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर-राज्यीय सिंचाई एवं जल संसाधन परियोजना है। यह खासकर गयाजी और औरंगाबाद जिलों में सिंचाई सुविधाएँ उपलब्ध कराकर कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
गयाजी जिले में सिंचाई क्षमता बढ़ेगी
परियोजना के पूर्ण होने पर गयाजी ज़िले में लगभग 25 से 30 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई क्षमता बढ़ने की उम्मीद है।
सिंचाई सुविधा मुख्य रूप से इन अंचलों में विस्तारित होगी—
🔹आमस
🔹गुरुआ
🔹गुरारू
🔹कोच
🔹परैया
समीक्षा का निष्कर्ष
निरीक्षण के बाद ज़िला पदाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि मुआवजा भुगतान में किसी भी प्रकार की देरी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को पारदर्शिता एवं समयबद्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए, ताकि रैयतों को उनके अधिकारों का समय पर लाभ मिल सके और परियोजना के कार्यों में तेजी आए।