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आर्यावर्त वाणी | नई दिल्ली | नेपाल | 12 सितंबर 2025


नेपाल इन दिनों जिस दौर से गुजर रहा है, उसे केवल राजनीतिक संकट कहना शायद सही नहीं होगा। यह वास्तव में नई पीढ़ी का जागरण है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ विरोध आज भ्रष्टाचार, राजनीतिक परिवारवाद, बेरोज़गारी और जवाबदेही की मांगों में बदल चुका है।


सोशल मीडिया प्रतिबंध से क्रांति तक


सरकार द्वारा 4 सितंबर को 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर प्रतिबंध लगाया गया। तर्क था कि कंपनियाँ सरकारी पंजीकरण नियमों का पालन नहीं कर रही थीं। किंतु इस निर्णय ने युवाओं के धैर्य को तोड़ दिया। Gen Z सड़कों पर उतर आई। आंदोलन इतना तीव्र हुआ कि देखते-देखते संसद भवन, मंत्रियों के घर और सरकारी संस्थान गुस्से का निशाना बन गए।


प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा और पहली महिला प्रधानमंत्री


विरोध प्रदर्शनों और 19 से अधिक मौतों के बाद प्रधानमंत्री KP शर्मा ओली को इस्तीफ़ा देना पड़ा। यह घटना नेपाल की राजनीति के लिए ऐतिहासिक मोड़ है। अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम सामने आया, और इस तरह नेपाल ने पहली महिला प्रधानमंत्री का स्वागत किया।


लोकतांत्रिक संघर्ष की नई परिभाषा


यह आंदोलन सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं है। यह युवाओं की चेतना का उभार है। युवाओं ने यह संदेश दिया है कि
वे भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेंगे,
वंशवाद पर आधारित राजनीति को चुनौती देंगे,
और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए बलिदान देने से पीछे नहीं हटेंगे।


भारत–नेपाल संबंधों के लिए संदेश


नेपाल की अस्थिरता भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है। एक ओर लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ खड़ा होना भारत की नीति होनी चाहिए, दूसरी ओर चीन के बढ़ते प्रभाव से नज़रें हटाना भारत के लिए जोखिमभरा होगा। ऐसे में संतुलित कूटनीति और आर्थिक सहयोग ही सही राह है।


आगे का रास्ता


अंतरिम सरकार और आगामी चुनाव नेपाल के भविष्य की दिशा तय करेंगे। यदि युवाओं की आकांक्षाओं को राजनीतिक एजेंडे में शामिल किया गया, तो यह आंदोलन नेपाल की लोकतंत्र यात्रा का स्वर्ण अध्याय बनेगा। लेकिन अगर पुरानी ढर्रे की राजनीति वापस लौटती है, तो असंतोष फिर भड़क सकता है। स्पष्ट है कि नेपाल का यह “Gen Z आंदोलन” दक्षिण एशिया में लोकतांत्रिक चेतना का नया अध्याय है। यह सिर्फ नेपाल का आंदोलन नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की राजनीति के लिए एक सबक है कि युवाओं की आवाज़ को नज़रअंदाज़ करना अब संभव नहीं।

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