आर्यावर्त वाणी | पटना | 09 अक्टूबर 2025,
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनज़र जन सुराज पार्टी ने अपनी पहली प्रत्याशी सूची जारी कर दी है। प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली इस नई राजनीतिक पार्टी ने राज्य की 51 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा करते हुए राजनीतिक पटल पर एक नया संदेश देने की कोशिश की है। “साफ राजनीति, नए चेहरे और जन भागीदारी।”
नई राजनीति का एलान, जातीय संतुलन और सामाजिक विविधता पर फोकस
जन सुराज पार्टी की पहली सूची में पिछड़े वर्ग, अत्यंत पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक समुदाय, महिलाओं और तृतीय लिंग समुदाय के उम्मीदवारों को शामिल किया गया है।
सूत्रों के अनुसार, सूची में ऐसे उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी गई है जिनकी छवि स्वच्छ रही है और जिन पर किसी भी प्रकार का आपराधिक आरोप नहीं है। पार्टी ने कहा कि यह सूची “जनता के प्रतिनिधित्व” के सिद्धांत पर तैयार की गई है, न कि जातीय या राजनीतिक समीकरणों के दबाव में।
पहली सूची में कुछ ऐसे चेहरों के नाम शामिल हैं जो पहले से ही चर्चाओं में हैं
उम्मीदवार– विधानसभा क्षेत्र– विशेषता
▫️ऋतेश रंजन पांडे, कारगहर (रोहतास,) भोजपुरी गायक, जनप्रिय चेहरा
▫️प्रीति किन्नर, भोरे (गोपालगंज) तृतीय लिंग समुदाय से उम्मीदवार
▫️डॉ. द्रिग नारायण प्रसाद, वाल्मीकिनगर (पश्चिम चंपारण), शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े
▫️सुनिल कुमार, लौरिया (पश्चिम चंपारण) स्थानीय जनसंगठन से जुड़े नेता
▫️अवधेश राम हरसिद्धि, (पूर्वी चंपारण) अनुसूचित जाति श्रेणी से
▫️डॉ. लाल बाबू प्रसाद, ढाका (पूर्वी चंपारण) चिकित्सा क्षेत्र से
▫️उषा किरण सुरसंड, (सीतामढ़ी) महिला नेतृत्व को प्रोत्साहित करने वाली
▫️विजय कुमार साह, रननीसैदपुर (सीतामढ़ी) सामाजिक कार्यकर्ता
प्रशांत किशोर का नाम नहीं, लेकिन रणनीति स्पष्ट
👉दिलचस्प बात यह है कि इस सूची में प्रशांत किशोर (PK) स्वयं उम्मीदवार नहीं हैं।
👉राजनीतिक पर्यवेक्षक इसे उनकी दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं, पहले संगठन को मजबूत करना और फिर चुनावी मैदान में उतरना।
👉सूत्रों का कहना है कि जन सुराज का चुनावी अभियान 11 अक्टूबर से राघोपुर विधानसभा क्षेत्र (तेजस्वी यादव का गढ़) से शुरू किया जाएगा।
विविधता से भरी उम्मीदवार सूची
जन सुराज पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया है कि पार्टी की यह सूची बिहार के सामाजिक ढांचे का “संतुलित प्रतिनिधित्व” करती है –
15 उम्मीदवार पिछड़े वर्ग से,
12 उम्मीदवार अत्यंत पिछड़े वर्ग से,
10 उम्मीदवार अनुसूचित जाति से,
6 अल्पसंख्यक समुदाय से,
और 8 महिलाएं व तृतीय लिंग समुदाय से हैं।
पार्टी ने कहा कि ये सभी उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्रों में जनआंदोलन, शिक्षा, चिकित्सा, सामाजिक सेवा या स्थानीय विकास कार्यों से जुड़े रहे हैं।
राजनीतिक हलकों में चर्चा
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जन सुराज की यह पहली सूची “परंपरागत राजनीति के तौर-तरीकों को चुनौती देने” वाली है। बिहार में जातीय समीकरणों और पुराने गठबंधनों के बीच जन सुराज ने “साफ छवि” और “स्थानीय भागीदारी” को प्राथमिकता देकर मतदाताओं को एक नया विकल्प देने की कोशिश की है।
हालांकि विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि पार्टी को जमीनी स्तर पर संगठनात्मक मजबूती और संसाधन जुटाने में चुनौतियाँ झेलनी पड़ेंगी।
जन सुराज पार्टी की पहली सूची यह दर्शाती है कि बिहार की राजनीति में बदलाव की एक नई लहर उठ रही है। जहाँ पुराने दल गठबंधन और जातीय समीकरणों में उलझे हैं, वहीं प्रशांत किशोर का यह प्रयोग “नीतिगत राजनीति” को फिर से स्थापित करने की दिशा में एक साहसिक कदम माना जा सकता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस “नई राजनीति” को कितना स्वीकार करती है और क्या जन सुराज, सिर्फ नारा नहीं, बल्कि एक राजनीतिक विकल्प बन पाती है या नहीं।
