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आर्यावर्त वाणी | पटना | 23 अक्टूबर 2025,


पटना, महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा और मुकेश साहनी को उपमुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद जहां गठबंधन समर्थकों में खुशी की लहर है, वहीं मुस्लिम समुदाय के बीच निराशा और असंतोष के स्वर भी तेज़ी से उभर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर कई मुस्लिम स्कॉलर, पत्रकार और बुद्धिजीवी खुलकर अपनी नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं। उनका कहना है कि 14% आबादी वाले समुदाय को सीएम, 1% वाले को डिप्टी सीएम , जबकि 18% वाले को “दरी बिछावन मंत्री” से अधिक अहमियत नहीं दी गई।

कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि बीजेपी का विरोध करने की राजनीति ने आखिरकार मुस्लिम समाज को क्या दिया? कुछ लोगों ने तंज भरे लहजे में लिखा है कि “मुसलमान को विकास, रोज़गार या सड़क-बिजली से नहीं, बल्कि बस बीजेपी को रोकने से संतोष मिलता है।”

राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि जबसे मुस्लिम समाज राजद के साथ जुड़ा, तबसे उनकी राजनीतिक नुमाइंदगी घटती चली गई। उदाहरण के तौर पर, जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र, जहां कभी एक या दो मुस्लिम विधायक होते थे, अब कई वर्षों से किसी मुस्लिम को टिकट तक नहीं मिला है।

हालांकि सूत्रों का कहना है कि राजद नेतृत्व इस नाराज़गी से वाकिफ है और पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर मंथन भी चल रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी रणनीति में आगे क्या बदलाव किए जाते हैं, ताकि महागठबंधन का पारंपरिक वोट बैंक फिर से पूरी मजबूती से एकजुट हो सके।

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