
आर्यावर्त वाणी | नई दिल्ली | 10 सितंबर 2025
देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों में से एक उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए उपचुनाव में एनडीए उम्मीदवार एवं वरिष्ठ भाजपा नेता सी.पी. राधाकृष्णन ने जीत दर्ज की है। वह भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बने हैं। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से दिए गए इस्तीफे के बाद यह उपचुनाव कराया गया।
चुनाव और परिणाम
9 सितंबर 2025 को संसद भवन में मतदान संपन्न हुआ। इसमें 767 सांसदों ने मतदान किया। मतगणना के बाद राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि विपक्ष (INDIA गठबंधन) के उम्मीदवार व पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए। 15 वोट अवैध घोषित हुए।
मतदान गुप्त बैलेट द्वारा हुआ और सांसदों को पार्टी व्हिप से मुक्त रखा गया, जिसके कारण कई सीटों पर क्रॉस वोटिंग भी सामने आई।
विपक्ष का प्रदर्शन और बढ़ी ताकत
इस चुनाव में विपक्ष का वोट शेयर उल्लेखनीय रूप से बढ़ा। वर्ष 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष को मात्र 26% वोट मिले थे, जबकि इस बार यह बढ़कर 40% तक पहुँच गया। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इसे विपक्षी एकता की जीत बताया। हालांकि एनडीए खेमे में भी कुछ क्रॉस वोटिंग के संकेत मिले, जिससे विपक्ष का हौसला बढ़ा है।
नेताओं की प्रतिक्रियाएँ
एनडीए नेतृत्व ने राधाकृष्णन की जीत पर उन्हें बधाई देते हुए कहा कि उनका अनुभव और संगठन क्षमता देश को लाभान्वित करेगी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसे ऐतिहासिक क्षण करार दिया।
विपक्षी नेताओं ने कहा कि यह परिणाम भले ही एनडीए के पक्ष में गया हो, लेकिन वोट शेयर बढ़ने से विपक्षी एकजुटता को नई मजबूती मिली है।
चुनावी रोचक पल
मतगणना के दौरान मीडिया से बातचीत में एक शब्द को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को विपक्षी नेता राजीव राय द्वारा सामने खींचकर लाने का वाकया सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, जिसे लेकर राजनीतिक हलकों में भी हल्की मुस्कान देखी गई।
नया अध्याय
सी.पी. राधाकृष्णन, जो कि पूर्व में महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रह चुके हैं और लंबे समय से भाजपा संगठन में सक्रिय रहे हैं, अब राज्यसभा के सभापति के रूप में अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाएँगे। उनकी पहचान एक सुलझे और अनुभवशील राजनेता की रही है।

यह उपचुनाव सिर्फ उपराष्ट्रपति चुनने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने भारतीय राजनीति में विपक्षी ताकत के बढ़ते प्रभाव और संसद के भीतर संभावित समीकरणों की झलक भी पेश की है।