गयाजी में संपन्न हुआ पितृपक्ष मेला 2025, राष्ट्रपति और अंबानी परिवार की मौजूदगी बनी खास
आर्यावर्त वाणी | गयाजी | 21 सितंबर 2025,
गयाजी, विश्वप्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 2025 इस बार केवल श्रद्धा और आस्था का संगम ही नहीं, बल्कि आधुनिक प्रबंधन और बेहतर सुविधाओं के लिहाज़ से भी मिसाल बन गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उद्योगपति मुकेश अंबानी के आगमन ने आयोजन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया। आज पितृपक्ष मेले के समापन के अवसर पर इनपर खूब चर्चा हुई। इस दौरान जिला प्रशासन ने मेले के सफल आयोजन में भाग लेने वाले सामाजिक संगठनों, सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिस कर्मियों, ncc कैडेटों स्वास्थ्य कर्मियों, सफाई कर्मियों आदि का धन्यवाद ज्ञापित किया।
मुख्य आकर्षण

👉राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और मुकेश अंबानी सपरिवार पिंडदान करने पहुंचे।
👉करीब 30 लाख श्रद्धालु देश-विदेश से गयाजी आए।
👉टेंट सिटी, कंट्रोल रूम, वन नेशन-वन राशन कार्ड, कॉल सेंटर जैसी नई सुविधाएँ चर्चा का विषय रहीं।
👉दिव्यांगजन और वृद्ध श्रद्धालुओं के लिए विशेष सेवाएँ उपलब्ध कराई गईं।
👉महिला पुलिसकर्मियों की सक्रिय भूमिका और स्वास्थ्य शिविरों की सराहना हुई।
👉नगर निगम और निजी एजेंसी की वजह से स्वच्छता व्यवस्था ऐतिहासिक रही।

समापन समारोह में सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा –
“पितृपक्ष मेला सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सनातन संस्कृति और परंपरा का अद्वितीय प्रतीक है। गयाजी की आस्था को यह विश्व स्तर पर पहचान दिलाता है।”डॉ प्रेम कुमार, मंत्री बिहार सरकार
प्रबंधन और सेवाएँ
जिलाधिकारी के अनुसार, श्रद्धालुओं को गंगाजल भेंट किया गया।
कॉल सेंटर और हेल्प डेस्क से त्वरित सहायता मिली।
भीड़ प्रबंधन और यातायात व्यवस्था अनुकरणीय रही।
स्वास्थ्य शिविर और मेडिकल सहायता हर क्षेत्र में उपलब्ध कराई गई।
स्वच्छता बनी चर्चा का विषय
नगर आयुक्त कुमार अनुराग के नेतृत्व में इस बार सफाई व्यवस्था बेहतर रही। प्रयागराज महाकुंभ की तर्ज़ पर एजेंसी ने काम किया।
श्रद्धालु साफ-सुथरे वातावरण से संतुष्ट दिखे।
पितृपक्ष मेला 2025 ने दिखा दिया कि धार्मिक आयोजन केवल परंपरा का हिस्सा नहीं, बल्कि आधुनिक प्रबंधन, तकनीकी सुविधा और सामूहिक सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण भी बन सकते हैं।
अब देखने वाली बात यह होगी कि ,
*क्या बिहार सरकार इसे आने वाले आयोजनों में लागू करेगी?
*क्या अन्य राज्य इस मॉडल से सीख लेकर अपने धार्मिक आयोजनों को नया रूप देंगे?