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नई दिल्ली, 17 अक्टूबर 2025 | आर्यावर्त वाणी संवाददाता

भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए नीति आयोग ने श्रीलंका की प्रधानमंत्री डॉ. हरिनी नीरेका अमरसूर्या की मेजबानी की। यह बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई, जिसमें बुनियादी ढांचा, शिक्षा, पर्यटन, कौशल विकास और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और सशक्त बनाने पर चर्चा हुई।

अपने उद्घाटन संबोधन में श्रीलंका की प्रधानमंत्री ने थिंक टैंक और समन्वय मंच के रूप में नीति आयोग की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत का नीति आयोग यह दर्शाता है कि कैसे दीर्घकालिक नीति-निर्माण को जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने यह भी जाना कि आयोग कैसे केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों के साथ मिलकर साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण और नागरिकों से प्राप्त प्रतिक्रिया को प्रभावी शासन से जोड़ता है।

बैठक का संचालन नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री सुमन के. बेरी ने किया। इस दौरान आयोग के वरिष्ठ सदस्यों ने विभिन्न क्षेत्रों में भारत की प्रमुख पहलों पर विस्तृत प्रस्तुति दी। इनमें प्रमुख रूप से शामिल रहे —

  • पीएम गति शक्ति योजना: मल्टीमॉडल अवसंरचना नियोजन और समन्वय की दिशा में भारत की अग्रणी पहल।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: समग्र, समावेशी और प्रौद्योगिकी-संचालित शिक्षा व्यवस्था की दिशा में क्रांतिकारी कदम।
  • पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान: विरासत, पर्यावरण और वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा देने के साझा अवसर।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डिजिटल गवर्नेंस: तकनीकी सहयोग और नवाचार के नए क्षितिज।

बैठक के दौरान भारत-श्रीलंका व्यापार, निवेश एवं आर्थिक और प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते (ETCA) पर भी चर्चा की गई। दोनों पक्षों ने नवाचार, ज्ञान-साझाकरण और सहयोगात्मक सहभागिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

इस अवसर पर नीति आयोग के विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया, जो भारत की ज्ञान-साझाकरण आधारित कूटनीति और क्षेत्रीय सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

यह यात्रा भारत और श्रीलंका के बीच रणनीतिक साझेदारी को सुदृढ़ करने, सतत विकास को प्रोत्साहित करने तथा क्षेत्रीय चुनौतियों के समाधान हेतु नवाचार और कौशल के उपयोग के साझा दृष्टिकोण को रेखांकित करती है।

दोनों देशों ने ‘पड़ोस प्रथम’ नीति और ‘महासागर’ ढांचे के अंतर्गत ज्ञान-आधारित, प्रौद्योगिकी-संचालित और जन-केंद्रित साझेदारी को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

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