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आर्यावर्त वाणी विशेष लेख

मां महागौरी का स्वरूप

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा होती है। उनका वर्ण चंद्रमा के समान श्वेत और अत्यंत तेजस्वी है। वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं और बैल पर सवार रहती हैं। उनके चार हाथ हैं – दाहिने हाथ में त्रिशूल और अभयमुद्रा, बाएँ हाथ में डमरू और वरमुद्रा। मां महागौरी को सौम्यता, शांति और पवित्रता की देवी माना जाता है।

👉पौराणिक कथा

कथा के अनुसार, भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करते समय माता पार्वती का शरीर काला हो गया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें गंगा जल से स्नान कराया, जिससे वे गौरवर्ण हो गईं। तभी से उन्हें महागौरी कहा गया। पूजन-विधि

👉 पूजन-विधि

1️⃣ प्रातः स्नान कर श्वेत वस्त्र धारण करें।
2️⃣ मां महागौरी की प्रतिमा या चित्र को सफेद वस्त्र पर स्थापित करें।
3️⃣ कलश स्थापना कर दीपक जलाएँ।
4️⃣ गंगाजल से शुद्धिकरण कर संकल्प लें।
5️⃣ मां को सफेद पुष्प और चंदन अर्पित करें।
6️⃣ नारियल और हलुआ का भोग लगाएँ।
7️⃣ मंत्र का जाप करें – “ॐ देवी महागौर्यै नमः”।
8️⃣ दुर्गा सप्तशती, महागौरी स्तोत्र या देवी कवच का पाठ करें।
9️⃣ अंत में आरती कर प्रसाद वितरित करें।

👉भोग का महत्व

मां महागौरी को नारियल का भोग विशेष प्रिय है। इससे साधक के जीवन में पवित्रता, सौभाग्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

👉उपासना का महत्व

✳️मां महागौरी की पूजा से पाप और कष्टों का नाश होता है।
✳️भक्त को उत्तम स्वास्थ्य, वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
✳️जीवन में पवित्रता, सौंदर्य और सकारात्मकता आती है।
✳️मां की कृपा से विवाह और दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

👉आज का शुभ मुहूर्त (29 सितम्बर 2025)

✳️अष्टमी तिथि प्रारंभ : 28 सितम्बर, सुबह 08:32 बजे
✳️अष्टमी तिथि समाप्त : 29 सितम्बर, सुबह 06:50 बजे
✳️ पूजा का श्रेष्ठ समय : प्रातः 06:15 बजे से 08:55 बजे तक

नवरात्रि का आठवाँ दिन पवित्रता और सौंदर्य का प्रतीक है। मां महागौरी की उपासना से भक्तों को जीवन में सौभाग्य, सुख और समृद्धि का वरदान मिलता है।

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