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आर्यावर्त वाणी | गयाजी | 13 दिसंबर 2025,

गयाजी; शहीद बैकुंठ शुक्ल शहादत दिवस आयोजन समिति, गयाजी की ओर से आज शनिवार को दिन के 11 बजे शहीद बैकुंठ शुक्ल पार्क, चाणक्यपुरी कॉलोनी में एक विस्तृत बैठक आयोजित की गई। बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में शहीद बैकुंठ शुक्ल जी के परिवार से अरुण कुमार शुक्ल, फाउंडर सचिव, शहीद बैकुंठ शुक्ल स्मृति समारोह, मुजफ्फरपुर उपस्थित रहे। उनके साथ वरीय नेता सीपीआई चंद्रेश्वर चौधरी भी बैठक में शामिल हुए।

बैठक का मुख्य उद्देश्य महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रांतिवीर योद्धा बिहार के लाल शहीद बैकुंठ शुक्ल जी के नाम पर गया केंद्रीय कारागार का नामकरण तथा गया स्थित शहीद बैकुंठ शुक्ल पार्क में उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित कराने के संबंध में विचार-विमर्श करना था। इस अवसर पर गयाजी जिले के विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, सामाजिक संगठनों के सदस्य एवं छात्र-नौजवान बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

चर्चा के दौरान वक्ताओं ने बताया कि शहीद बैकुंठ शुक्ल जी “हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन” से जुड़े थे, जिसके अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद थे। उनका आत्मबलिदान भारतीय क्रांति इतिहास की एक अपूर्व गाथा माना जाता है। वे इस क्रांतिकारी दल के अंतिम सदस्य थे जिन्हें फाँसी की सजा दी गई।

वक्ताओं ने यह भी उल्लेख किया कि भारतीय क्रांति के इतिहास में शहीद बैकुंठ शुक्ल पहले और अंतिम ऐसे सेनानी थे जिन्होंने फाँसी से पूर्व काली टोपी पहनने से इनकार किया और स्वयं फाँसी का फंदा स्वीकार किया। बताया गया कि फाँसी से पूर्व उनका वजन भी बढ़ गया था, जो उनके अदम्य साहस और आत्मबल का प्रतीक माना जाता है।

उल्लेखनीय है कि शहीद-ए-आज़म भगत सिंह को फाँसी दिलाने में मुखबिरी करने वाले और ब्रिटिश हुकूमत के गवाह बने फनिन्द्र नाथ घोष को मौत की नींद सुलाने वाले शहीद बैकुंठ शुक्ल जी को 14 मई 1934 को गयाजी के केंद्रीय कारागार में फाँसी दी गई थी। बैठक में सभी उपस्थित लोगों ने शहीद बैकुंठ शुक्ल के सम्मान में प्रस्तावों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।

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