आर्यावर्त वाणी | गयाजी | 29 अक्टूबर 2025,
गयाजी: 29 अक्टूबर को गयाजी जिले के पंचानपुर थाना क्षेत्र के दिघौरा गांव में हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के प्रदेश अध्यक्ष एवं एनडीए प्रत्याशी डॉ. अनिल कुमार पर चुनाव प्रचार के दौरान हमला हुआ। जनसंपर्क अभियान के क्रम में जैसे ही उनका काफिला गांव पहुंचा, कुछ असामाजिक तत्वों ने ईंट-पत्थर से हमला कर दिया, जिसमें डॉ. कुमार सहित तीन लोग घायल हो गए। पुलिस ने नौ लोगों को हिरासत में लिया है और अन्य आरोपियों की तलाश में छापेमारी जारी है।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के अंतिम चरण के प्रचार अभियान में यह घटना राजनीतिक रूप से अत्यंत संवेदनशील मानी जा रही है। डॉ. अनिल कुमार, जो एनडीए के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री हैं, टिकारी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी हैं। हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) पहले से ही स्थानीय समीकरणों और जातीय राजनीतिक समीकरणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है।
इस हमले को विपक्षी दल एनडीए प्रत्याशी के खिलाफ स्थानीय विरोध या राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि, प्रशासन ने इसे “असामाजिक तत्वों की हरकत” बताया है, लेकिन स्थानीय स्तर पर इसे राजनीतिक तनाव का संकेत माना जा रहा है।
सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
यह हमला चुनाव आयोग की सख्त निगरानी और जिला प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था के बीच हुआ।
अब सवाल उठता है कि
▫️ जनसंपर्क अभियान के दौरान सुरक्षा घेरे में सेंध कैसे लगी? ▫️क्या यह हमला पूर्व नियोजित था या अचानक हुई प्रतिक्रिया? ▫️क्या प्रत्याशी को पर्याप्त पुलिस सुरक्षा मिली थी या नहीं?
इन बिंदुओं की जांच आवश्यक है, क्योंकि चुनावी माहौल में किसी भी उम्मीदवार पर हमला लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए चिंताजनक संदेश देता है।
स्थानीय असंतोष या संगठित साजिश?
दिघौरा गांव के निवासियों के अनुसार, कुछ लोगों में इलाके के विकास कार्यों और राजनीतिक उपेक्षा को लेकर असंतोष था।
यदि हमला स्थानीय असंतोष का परिणाम है, तो यह चुनावी रणनीतियों के प्रति जनता के असंतोष को दर्शाता है।
वहीं, यदि यह संगठित हमला साबित होता है, तो इसका राजनीतिक असर एनडीए के प्रचार अभियान पर सीधा पड़ सकता है।
दोनों ही स्थितियों में यह घटना सत्ता और प्रशासन दोनों के लिए चेतावनी है कि ग्रामीण इलाकों में मतदाताओं की भावनाओं और नाराजगी को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
घटना के तुरंत बाद डीएम शशांक शुभंकर और एसएसपी आनंद कुमार का मौके पर पहुंचना और घायलों से मुलाकात करना प्रशासन की संवेदनशीलता दर्शाता है।
नौ गिरफ्तारियां त्वरित कार्रवाई को इंगित करती हैं,
लेकिन घटना के पीछे की वास्तविक वजहों को सामने लाना ही प्रशासन की असली परीक्षा होगी।
चुनावी प्रभाव
इस हमले के बाद टिकारी विधानसभा क्षेत्र का माहौल गर्म हो गया है। एनडीए समर्थक इसे विपक्षी षड्यंत्र बता रहे हैं। जबकि विपक्ष इसे प्रशासनिक विफलता कह रहा है। यह घटना मतदाताओं की सहानुभूति या नाराजगी, दोनों ही दिशाओं में असर डाल सकती है।
अक्सर ऐसे हमले चुनावी रुझान बदलने की क्षमता रखते हैं, खासकर जब उम्मीदवार का जनाधार ग्रामीण मतदाताओं में गहरा हो।
डॉ. अनिल कुमार पर हमला केवल एक व्यक्ति विशेष पर हमला नहीं है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों और चुनावी मर्यादाओं पर भी सीधा प्रहार है। यह घटना स्पष्ट करती है कि चुनावी प्रतिस्पर्धा अब हिंसक रूप लेने लगी है, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है। आवश्यक है कि चुनाव आयोग और प्रशासन सुरक्षा मानकों की पुनर्समीक्षा करें और ग्रामीण इलाकों में विशेष निगरानी तंत्र को मजबूत करें।