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आर्यावर्त वाणी | गयाजी | 26 नवम्बर 2025,  

गयाजी; संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार, नई दिल्ली एवं बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, पटना के निर्देशानुसार व्यवहार न्यायालय, गयाजी में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, गयाजी मदन किशोर कौशिक ने किया। इस दौरान न्यायिक पदाधिकारी तथा न्यायालय के कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन

कार्यक्रम की शुरुआत संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक वाचन से हुई। प्रधान जिला न्यायाधीश ने सभी उपस्थित अधिकारियों और कर्मचारियों को संविधान की शपथ दिलाई। उन्होंने संविधान के प्रति निष्ठा, अधिकारों की रक्षा और कर्तव्यों के निर्वहन का आह्वान किया।

मुख्य संबोधन: संविधान की मूल भावना पर जोर

अपने संबोधन में प्रधान जिला न्यायाधीश श्री कौशिक ने कहा कि भारत का संविधान हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग, संघर्ष और दूरदर्शिता का परिणाम है। उन्होंने संविधान की उद्देशिका के हर शब्द को जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता बताई।

उन्होंने विशेषकर संविधान में वर्णित पाँच मौलिक स्वतंत्रताओं, खासकर विचारों की स्वतंत्रता पर बल देते हुए कहा कि यह स्वतंत्रता ही मानव समाज को सोचने, समझने और आगे बढ़ने की दिशा देती है।

सोशल मीडिया के प्रभाव पर चिंता

प्रधान जिला न्यायाधीश ने सोशल मीडिया और रील्स के माध्यम से विचारों को जाति, धर्म या संप्रदाय के आधार पर प्रभावित किए जाने की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आज के समय में वैचारिक स्वतंत्रता को सुरक्षित रखना आवश्यक है और इसके लिए समाज में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।

न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों की उपस्थिति

संविधान दिवस समारोह में व्यवहार न्यायालय, गयाजी के सभी न्यायिक पदाधिकारी, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, गयाजी के कर्मचारी तथा न्यायालय के अन्य कर्मियों ने सक्रिय भागीदारी की। कार्यक्रम संविधान की मूल भावना न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के प्रति नए संकल्प के साथ संपन्न हुआ।

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