आर्यावर्त वाणी | गयाजी | 12 दिसंबर 2025,
बोधगया। बोधगया में आयोजित 10 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक पाठ का भव्य समापन शुक्रवार को हो गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि बोधगया की पवित्र भूमि सदियों से करुणा, शांति और मानवता का संदेश देती आ रही है। 22 बौद्ध देशों से आए भिक्षुओं और श्रद्धालुओं की उपस्थिति वैश्विक बौद्ध संस्कृति की अद्भुत एकता का प्रतीक है। उन्होंने आयोजन समिति, दानदाताओं, स्वयंसेवकों और बौद्ध समुदाय की समर्पित भूमिका की सराहना की। राज्यपाल ने कहा कि बोधगया वही पवित्र स्थल है, जहां लगभग 2500 वर्ष पूर्व सिद्धार्थ गौतम ने ज्ञान प्राप्त कर विश्व को शांति, अहिंसा और करुणा का मार्ग दिखाया। बुद्ध ने कर्म, संयम और सद्भाव का उपदेश दिया, जो सम्राट अशोक से लेकर आधुनिक काल तक पूरी मानवता के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का अनंत स्रोत बना हुआ है।
दीप प्रज्वलन के साथ समापन समारोह का शुभारंभ
महाबोधि मंदिर में आयोजित समापन समारोह में अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में देश-विदेश से आए बौद्ध भिक्षु और श्रद्धालु उपस्थित रहे।
250 से 20 हजार तक पहुंचा त्रिपिटक पाठ समारोह
राज्यपाल ने बताया कि यह अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक पाठ समारोह वर्ष 2006 में मात्र 250 प्रतिभागियों से प्रारंभ हुआ था, जो आज बढ़कर लगभग 20 हजार बौद्ध श्रद्धालुओं की सहभागिता तक पहुंच चुका है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि बुद्ध का धर्म करुणा, शांति और मानव कल्याण पर आधारित है, जिसकी प्रासंगिकता आज भी उतनी ही गहरी है।
ओडिशा का बौद्ध विरासत से गहरा संबंध
ओडिशा पर्यटन विभाग के अतिरिक्त सचिव सरोज कुमार स्वैन ने कहा कि ओडिशा सदियों से करुणा, शांति और बौद्ध संस्कृति का प्रमुख केंद्र रहा है। कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन और धौली से शुरू हुआ शांति संदेश आज भी पूरी दुनिया को मार्ग दिखा रहा है। रत्नागिरि, उदयगिरि और ललितगिरि जैसे प्राचीन स्थलों में बौद्ध दर्शन का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
धम्म यात्रा और अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक शोभायात्रा
आयोजन की शुरुआत धम्म यात्रा के साथ हुई, जिसमें महाबोधि मंदिर से कालचक्र मैदान तक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। हाथी पर विराजमान भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा के साथ थाईलैंड की रॉयल बैंड, श्रीलंका का कंधान्य नृत्य, म्यांमार का सांस्कृतिक दल और कंबोडिया की अप्सरा नृत्य झांकी विशेष आकर्षण रहीं।
महाबोधि महाविहार को 220 बुद्ध प्रतिमाओं का दान
इस अवसर पर अमेरिका से आए ज्वेल ने महाबोधि महाविहार को 220 बुद्ध प्रतिमाओं का दान दिया। सिलिकॉन से बनी और स्वर्णिम रंग की ये प्रतिमाएं उन बौद्ध बिहारों को निशुल्क प्रदान की जाएंगी, जहां प्रतिमाएं उपलब्ध नहीं हैं। इनमें तेलंगाना, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, लेह सहित अन्य क्षेत्र शामिल हैं, जबकि शेष प्रतिमाएं बोधगया में स्थापित की जाएंगी।
शांति, सद्भाव और करुणा के संदेश को सुदृढ़ करने की आशा
समापन अवसर पर राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि यह अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक पाठ समारोह विश्वभर में शांति, सद्भाव और करुणा के संदेश को और अधिक मजबूत करेगा तथा बौद्ध दर्शन को नई ऊर्जा प्रदान करेगा।