आर्यावर्त वाणी | गयाजी | 30 नवम्बर 2025,
गयाजी। दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (CUSB) में भारतीय ज्ञान परंपरा को अध्ययन-अध्यापन का हिस्सा बनाने पर जोर देते हुए कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा को सभी विषयों में संपृक्त और संश्लेषित करना आवश्यक है। वह यह बातें विद्या भारती उच्च शिक्षण संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित भारतीय बौधिक्स श्रृंखला के तहत पुस्तकों के विमोचन समारोह में मुख्य संबोधन के दौरान कह रहे थे।
औपनिवेशिक दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता
कुलपति ने कहा कि भारतीय विज्ञान, समाज, दर्शन और ज्ञान की अपनी विशिष्टता है, लेकिन औपनिवेशिक दृष्टि के कारण इसकी जानकारी जनता तक नहीं पहुंच पाई। उन्होंने कहा कि इस दृष्टि को बदलना होगा, तभी आत्मनिर्भर और विकसित भारत 2047 के संकल्प को साकार किया जा सकेगा। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा पर किए जा रहे प्रयासों के लिए विद्या भारती की सराहना की।
पुस्तकों और अंतरराष्ट्रीय जर्नल का विमोचन
कार्यक्रम में कुलपति प्रो. सिंह और मुख्य अतिथि प्रो. रमण कुमार त्रिवेदी, क्षेत्रीय संयोजक, विद्या भारती उच्च शिक्षण संस्थान ने संयुक्त रूप से भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित दो पुस्तकों—
✳️‘भारत में राजधर्म, शासन और लोकनीति’
✳️‘भारतीय दर्शन की षड्दर्शन धारा’
तथा एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल का विमोचन किया।
मुख्य अतिथि प्रो. त्रिवेदी ने भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत सदियों से ज्ञान की भूमि रहा है और विवेकानंद की वाणी आज भी हमें दिशा देती है।
पुस्तक समीक्षा में उभरे महत्वपूर्ण आयाम
पीआरओ मोहम्मद मुदस्सिर आलम के अनुसार, ‘भारत में राजधर्म, शासन और लोकनीति’ पुस्तक की समीक्षा राजनीति शास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ. जाधव प्रताप सिंह ने की। उन्होंने बताया कि पुस्तक में राजधर्म, शासन व्यवस्था और नीति से जुड़े सभी पहलुओं को विस्तृत रूप से शामिल किया गया है।
दूसरी पुस्तक ‘भारतीय दर्शन की षड्दर्शन धारा’ की समीक्षा इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सुधांशु कुमार झा ने की। उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन के जटिल विषयों को सरल भाषा में समझाने का सफल प्रयास पुस्तक में किया गया है।
कार्यक्रम की रूपरेखा और संचालन
कार्यक्रम का शुभारंभ कृषि विभाग के अध्यक्ष प्रो. ए.पी. सिंह के स्वागत भाषण से हुआ। इसके बाद डॉ. तरुण कुमार त्यागी (समन्वयक, विद्या भारती उच्च शिक्षण संस्थान) ने आगामी कार्यक्रमों, परीक्षाओं और पारितोषिक से संबंधित विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अतिस कुमार दास ने किया और धन्यवाद ज्ञापन पुस्तक समिति के समन्वयक डॉ. नीतीश ने किया।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों की सक्रिय उपस्थिति रही।