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आर्यावर्त वाणी | गयाजी | 27 अगस्त 2025

गयाजी, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के अंतर्गत गया जिला प्रशासन ने आज पीड़ित लाभुकों को राहत राशि प्रदान करने का आदेश जारी किया। जिला पदाधिकारी शशांक शुभंकर ने बताया कि कुल 20 मामलों में मुआवजा स्वीकृत किया गया है। इसमें 19 प्राथमिकी आधारित मामलों पर प्रथम किस्त और 1 आरोप पत्र आधारित मामले पर द्वितीय किस्त की राशि सीधे लाभुकों के बैंक खातों में DBT के माध्यम से भेजी जाएगी।

जिला पदाधिकारी के अनुसार—

  • प्रथम किस्त के 19 मामलों में कुल ₹7,53,750/-
  • द्वितीय किस्त के 1 मामले में ₹50,000/-
    राशि भुगतान का आदेश दिया गया है।

प्रमुख लाभुकों को मिली राशि

  • अलीपुर थाना क्षेत्र की रीमा देवी को ₹51,050
  • गहलौर थाना क्षेत्र की पार्वती देवी को ₹50,150
  • धनगाई थाना क्षेत्र की रेखा सिंह को ₹51,050
  • बाराचट्टी के कुंदन कुमार को ₹25,150
  • बोधगया थाना क्षेत्र की चांदो देवी को ₹50,150
  • मोहनपुर थाना क्षेत्र की सुश्री निशा कुमारी को ₹50,150
  • डेल्हा थाना क्षेत्र की ज्योति प्रकाश को ₹25,150
  • टिकरी थाना क्षेत्र के प्रभु चौधरी को द्वितीय किस्त के रूप में ₹50,000

अधिनियम के तहत मुआवजा संरचना

डीएम शशांक शुभंकर ने बताया कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को अत्याचार से सुरक्षा प्रदान करने के लिए यह अधिनियम प्रभावी है। इसके अंतर्गत राहत राशि का भुगतान चरणबद्ध तरीके से किया जाता है—

  • गाली-गलौज/अपमान (धारा 3(1)(r)(s)) – कुल ₹1,00,000
    • प्राथमिकी पर 25% (₹25,000)
    • आरोप पत्र पर 50% (₹50,000)
    • दोष सिद्ध होने पर 25% (₹25,000)
  • मारपीट/गंभीर चोट (धारा 3(2)(va)) – कुल ₹2,00,000
    • प्राथमिकी पर 25% (₹50,000)
    • आरोप पत्र पर 50% (₹1,00,000)
    • दोष सिद्ध होने पर 25% (₹50,000)
  • बलात्कार/सामूहिक बलात्कार – क्रमशः ₹5,00,000 व ₹8,25,000
    • चिकित्सकीय पुष्टि पर 50%
    • आरोप पत्र पर 25%
    • दोष सिद्ध होने पर 25%
  • हत्या/मृत्यु – कुल ₹8,25,000
    • शव परीक्षण उपरांत 50% (₹4,12,500)
    • आरोप पत्र पर 50% (₹4,12,500)
    • आश्रित को ₹5,000 एवं महंगाई भत्ता सहित मासिक पेंशन
    • आरोप गठन उपरांत आश्रित को नौकरी का प्रावधान

डीएम ने स्पष्ट किया कि सभी भुगतान सीधे बैंक खातों में DBT के माध्यम से किए जा रहे हैं ताकि पारदर्शिता बनी रहे। यह कदम सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसके तहत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है।


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